अपनी नवशक्तियों के जागरण का पर्व है नवरात्र

आश्विन मास में आने वाले नवरात्रे आरंभ होने वाले हैं और इसके साथ ही इस की तैयारियाँ भी जोरशोर से शुरू हो गई हैं। नवरात्रों में माँ दुर्गा के नौ रूपों का पूजन किया जाता है। अधिकतर स्थानों पर घट स्थापन करके माँ दुर्गा की पूजा-आरती की जाती है। कहीं-कहीं पर रामायण आदि धर्म ग्रंथों का पाठ भी किया जाता है। ये नौ दिन साधना के लिए माने जाते हैं। इन दिनों में कुछ लोग पूरा दिन उपवास रखते हैं, कुछ लोग एक समय के भोजन का त्याग करते हैं, और कुछ लोग केवल गेहूँ, अनाज और मांसाहार का त्याग करते हैं। अपनी श्रद्धा, क्षमता और सहूलियत के हिसाब से लोग अपनी साधना के तरीके अपनाते हैं परन्तु लगभग हर व्यक्ति इस पर्व को मनाने का प्रयास करता है और माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता है।

परन्तु यदि सही मायने में माँ दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करना है तो हमें नवरात्रों और नवदुर्गा के सही अर्थों को भी समझना होगा। हिंदुत्व के छः दर्शनों में से एक सांख्य दर्शन के अनुसार, ये सृष्टि प्रकृति और पुरुष के मिलने से बनती है। यदि हमारे मोबाइल फ़ोन को हम पुरुष माने तो उसमे विद्यमान ऑपरेटिंग सिस्टम और ऍप्लिकेशन्स प्रकृति का रूप हो गए। इन दोनो के एक साथ होने से ही मोबाइल फ़ोन बनता है अन्यथा वो व्यर्थ है। नवरात्र प्रकृति के इस रूप को समझने और उपयोग करने का ही पर्व है।

जब हम नवदुर्गा की बात करते हैं तो वास्तव में हम प्रकृति के ही नौ रूपों या नौ शक्तियों की बात ही करते हैं। वास्तु शास्त्र में जिन नौ दिशाओं की बात हम करते हैं या न्यूमेरोलॉजी में 'ओंकार थ्योरी ऑफ़ नंबर्स ' जिन नौ नंबर्स की बात करती है, वो मूलतः प्रकृति के वही नौ रूप हैं जिन्हें हम नवरात्र में माँ दुर्गा की नौ शक्तियों के रूप में पूजते हैं। यही नौ शक्तियां हमारे प्राणमय (ऊर्जा) शरीर में चक्रों के रूप में परिलक्षित होती हैं। नवरात्र वो समय है जब हम अपनी इन शक्तियों को पहचाने और इनको जागृत करके इनका उपयोग करना आरम्भ करें।

यदि हम माँ दुर्गा के नौ रूपों पर ध्यान लगाएं तो उनकी शक्तियों को भी बेहतर रूप में समझ पाएंगे। माँ कूष्माण्डा हमारे अंदर सूर्य की शक्ति को जागृत करती है। ये हमारी समझ और स्वास्थ्य को बेहतर बनाकर कार्य को आरम्भ करने की ऊर्जा प्रदान करती हैं। माँ चंद्रघंटा सभी समस्याओं और चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहने की शक्ति है। उन चुनौतियों का सामना करते हुए यदि आपको भय सताता है तो माँ कालरात्रि समस्त भयों का निराकार करने की शक्ति है। माँ ब्रह्मचारिणी आपके अंदर दृण-निश्चय, प्रतिबद्धता और संकल्प शक्ति का नाम है। यही आपको आपके साथियों से जोड़ने की भी शक्ति है। इसी प्रकार माँ शैलपुत्री सबका साथ निभाने की शक्ति है। माँ कात्यायनी बाधाओं को पार करके आगे बढ़ने के लिए दैवीय प्रज्ञा प्रदान करती है। माँ महागौरी जीवन के अनुरूप अपने स्वभाव, विचार और प्रयासों में बदलाव करने की क्षमता प्रदान करती हैं और उस बदलाव के फलस्वरूप मिलने वाले सारे शुभ फल, सफ़लतायें और सिद्धियां माँ सिद्धिदात्री की देन हैं।

यदि हमारे जीवन में किसी समस्या का समाधान हमें नहीं मिल रहा या कोई लक्ष्य पूरा नहीं हो पा रहा तो माँ दुर्गा के इन नौ रूपों की पूजा करने के साथ साथ हमें ये भी देखने की ज़रुरत है की नवदुर्गा की कौन सी शक्ति हमारे अंदर कमज़ोर पड़ रही है जिसे हमें मज़बूत करने की ज़रुरत है। न्यूमेरोवास्तु के अंक और दिशा आधारित वैज्ञानिक उपाय तो इसके लिए सहायक होंगे ही परन्तु सबसे ज़्यादा और सबसे पहले जो चीज़ काम करेगी वो है स्वयं को बदलने की, उत्कृष्ट बनाने की और इस नवरात्र माँ दुर्गा की शक्तियों को अपने जीवन में लाने की आपकी प्रतिबद्धता।